Thursday, March 14, 2019

सुबह उस शहर को जलते देखा ...

 
एक रात एक शहर सोया था चैन से ,

कुछ अजनबी साये चले,कुछ अनसुने से स्वर सुने,

सुबह उस शहर को जलते देखा ,
...
जिन्दगी को मानो थमते देखा |

सुबह उस शहर को जलते देखा ||



कभी भीड़ और शोर था चरों तरफ जहां,

उस रोज़ हर सड़क खाली हर जगह सून्सां,

सन्नाटे को चीरती आवाजों से अपनों को छलनी होते देखा |

सुबह उस शहर को जलते देखा ||



सारा शहर सदमे में था,थे परिंदे भी थर्रागाये ,

दरिंदों ने बड़ी जोर से बरसाई थी आग शहर पे,

उस आग में भी सायों से जवानों को लड़ते देखा ,

हर शहीद की जिन्दगी को बस तिरंगे में लिपटे देखा ?

सुबह उस शहर को जलते देखा !


सुबह उस शहर को जलते देखा ||