Thursday, August 3, 2017

रिश्तों की कीमत ...

ज़िन्दगी की भाग दौड़ में में अक्सर हम ये भूल जाते हैं,
 पैसे कमाने नही बल्कि रिश्ते बनाने इस दुनिया में हम आते हैं;
पैसे की चकाचौंध में हम रिश्तों को पीछे छोड़ हैं,
पर सुख हो या दुःख, काम आखिर में अपने ही आते हैं!!!

क्यों!!! क्यों हम इस मशीनीकरण में अपने होने का अर्थ भूल जाते हैं,
मशीनों के बीच रह कर हम भी मशीन बन जाते हैं;
और फिर क्यों हम अपने को इंसान कहलाते हैं,
जब रिश्तों को ताक पर रख कर बस पैसा ही हम कमाते हैं!!!

क्यों दूसरों को कष्ट दे खुद पर इतना इत्रा रहा,
अपने बच्चों के लिए कैसा उदाहरण बना रहा;
आगे बढ़ने की होड़ में इंसान क्यों है भाग रहा,
खाली हाथ आया और खाली हाथ ही है जा रहा!!!




Wednesday, August 2, 2017

वक़्त का खेल...


वक़्त का खेल भी बड़ा  होता है....
 ज़रूरत न हो, मेहरबान उसी पर होता है!!!

परिवार - परिवार होता है, अपना हो या आपके जीवनसाथी का

एक पार्क मे दो बुजुर्ग बातें कर रहे थे....

पहला :- मेरी एक पोती है, शादी के लायक है... BE किया है, नौकरी करती है, कद - 5"2 इंच है.. सुंदर है, कोई लडका नजर मे हो तो बताइएगा..

दूसरा :- आपकी पोती को किस तरह का परिवार चाहिए...??

पहला :- कुछ खास नही.. बस लडका ME /M.TECH किया हो, अपना घर हो, कार हो, घर मे एसी हो, अपने बाग बगीचा हो, अच्छा job, अच्छी सैलरी, कोई लाख रू. तक हो...

दूसरा :- और कुछ...


पहला :- हाँ सबसे जरूरी बात.. अकेला होना चाहिए.. मां-बाप,भाई-बहन नही होने चाहिए.. वो क्या है लडाई झगड़े होते है...

दूसरे बुजुर्ग की आँखें भर आई फिर आँसू पोछते हुए बोला - मेरे एक दोस्त का पोता है उसके भाई-बहन नही है, मां बाप एक दुर्घटना मे चल बसे, अच्छी नौकरी है, डेढ़ लाख सैलरी है, गाड़ी है बंगला है, नौकर-चाकर है..

पहला :- तो करवाओ ना रिश्ता पक्का..

दूसरा :- मगर उस लड़के की भी यही शर्त है की लडकी के भी मां-बाप,भाई-बहन या कोई रिश्तेदार ना हो... कहते कहते उनका गला भर आया.. फिर बोले :- अगर आपका परिवार आत्महत्या कर ले तो बात बन सकती है.. आपकी पोती की शादी उससे हो जाएगी और वो बहुत सुखी रहेगी....

पहला :- ये क्या बकवास है, हमारा परिवार क्यों करे आत्महत्या.. कल को उसकी खुशियों मे, दुःख मे कौन उसके साथ व उसके पास होगा...

दूसरा :- वाह मेरे दोस्त, खुद का परिवार, परिवार है और दूसरे का कुछ नही... मेरे दोस्त अपने बच्चो को परिवार का महत्व समझाओ, घर के बडे ,घर के छोटे सभी अपनो के लिए जरूरी होते है... वरना इंसान खुशियों का और गम का महत्व ही भूल जाएगा, जिंदगी नीरस बन जाएगी...

पहले वाले बुजुर्ग बेहद शर्मिंदगी के कारण कुछ नही बोल पाए...

दोस्तों परिवार है तो जीवन मे हर खुशी, खुशी लगती है; अगर परिवार नही तो किससे अपनी खुशियाँ और गम बांटोगे...