उन्हें देख कर उठते हैं दिल में जाने कितने अरमान
मुश्किल है करना इसे लफ़्ज़ों में बयां
करीब थे वो जब मेरे तो उनसे ना कुछ कह सका
अब चले गये वो दूर तो क्यों टूटा सा है ये दिल मेरा
रात की चांदनी में बैठा सोचता हूँ मैं यही
ज़िन्दगी की इस राह पे वो नहीं तो कोई और सही…..
मुश्किल है करना इसे लफ़्ज़ों में बयां
करीब थे वो जब मेरे तो उनसे ना कुछ कह सका
अब चले गये वो दूर तो क्यों टूटा सा है ये दिल मेरा
रात की चांदनी में बैठा सोचता हूँ मैं यही
ज़िन्दगी की इस राह पे वो नहीं तो कोई और सही…..
No comments:
Post a Comment