Tuesday, November 1, 2011

उमीद ऐसी हो जो जीने को मजबूर करे...

उमीद ऐसी हो जो जीने को मजबूर करे!

राह ऐसी हो जो चलने को मजबूर करे!

महक कम न हो कभी अपनी दोस्ती की!

दोस्ती ऐसी हो जो मिलने को मजबूर करे!

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