आखिर मोदी जी की सरकार ने अपना एक और पता खोल ही दिया। २.५ लाख से अधिक मूल्य के पुराने नोट बैंक खाते में जमा करने पर आयकर विभाग को जाएगी और फिर वो पहले से परेसान और दबे कुचले आम आदमी को परेशान करने आ पहुंचेंगे। ये मान सकते हैं की इस कदम से बहुत सा काला धन रखने वाले पकड़ में आ सकते है पर ज़्यादा परेशान होगा वो आम आदमी जिसने किसी भी कारण से घर में अपनी मेहनत से कमाया पैसा जमा किया हुआ था और बैंक में जमा नही करवाया था। परेशान होगा वो आम नागरिक जिसके घर में बेटे या बेटी की शादी वाली है और जिसने अपनी मेहनत की कमाई निकलवाई थी ताकी वो शादी के खर्चे कर सके और मेहमानों को सगन दे सके जो अब केवल रद्दी के टुकड़े बन गए हैं। मोदी जी ये चाहते हैं की मेहमानों को सगन के रूप में "चेक" अथवा "डेबिट कार्ड" दिए जाएँ? क्या बैंड वाले, मिठाई वाले, पंडाल वाले, घोड़ी वाले और बाकि सभी छोटे व्यापारी आज की तारिख में डेबिट कार्ड अथवा नेट बैंकिंग के रास्ते अपना भुगतान लेने के लिए तैयार हैं? सिर्फ इसलिए की ज़्यादातर "मॉल्स" में प्लास्टिक मनी स्वीकार की जाती है, क्या सभी छोटे दुकानदार प्लास्टिक मनी के लिए तैयार हैं? बिना उन्हें तैयार करे आम आदमी की जेब से पैसा छीन लेना उन दुकानदारों की आय पर वार नही है, जीनके ग्राहक अब दूसरी बड़ी दुकानों पर जाने को मजबूर हो जायेंगे क्योंकि उनकी जेब में डेबिट कार्ड है पर नोट नही। बड़े रिश्वतखोर तो अपनी अधिकतर काली कमाई बचा लेंगे किसी न किसी रूप में, फस जाएगी उनकी जान जो अपने घर को ठीक करवाना चाहते थे या न्या घर लेने वाले थे पर अब वो पैसा वापिस बैंक में जमा करवाने पर उन्हें सो तरह के सवाल पूछे जायेंगे। मकसद भले ही सही हो पर त्योहारों और शादी के इस मौसम में आम आदमी की जेब से पैसा छीन लेना कहाँ तक उचित है?
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