सपने टूटे हैं, टुटा है ये दिल मेरा;
लोग फिर भी हमे ज़िंदा समझते हैं !
फूलों की चादर बिछी है इन राहों पे;
क्यों हमें फिर भी कांटे चुभते हैं !
समझो ना ये की ज़िन्दगी से हार गए हैं हम;
समंदर में फसी नाव जैसे हम बस किनारा ढूंढते हैं !
लोग फिर भी हमे ज़िंदा समझते हैं !
फूलों की चादर बिछी है इन राहों पे;
क्यों हमें फिर भी कांटे चुभते हैं !
समझो ना ये की ज़िन्दगी से हार गए हैं हम;
समंदर में फसी नाव जैसे हम बस किनारा ढूंढते हैं !
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