Tuesday, August 30, 2011

वो भी क्या दिन थे...

वो भी क्या दिन थे,
मम्मी की गोद,
और पापा के कंधे,
न कल की चिंता,
न फ्युचर के सपने,
.........लेकिन......
अब कल की है फिकर,
और अधूरे हैं सपने,
मूड कर देखा तो
बहुत दूर हैं अपने,
मंज़िलों को ढूंढते हम कहाँ खो गए,
कब हम इतने बड़े हो गए .....

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